HOW MUCH YOU NEED TO EXPECT YOU'LL PAY FOR A GOOD पारद शिवलिंग

How Much You Need To Expect You'll Pay For A Good पारद शिवलिंग

How Much You Need To Expect You'll Pay For A Good पारद शिवलिंग

Blog Article

Start out the worship with a couple of minutes of meditation, focusing on Lord Shiva’s divine graphic. This allows quiet the head and get ready for the ritual.

सैकड़ों गायों के दान हज़ारों स्वर्ण मुद्राओं के दान तथा चारों तीर्थों को जो पुण्य मि..

This temple was developed using the concepts of Vastu Shastra. A bell is mounted to A 3-inch brass pipe at the base from the Pardeshwar temple’s Shivling with copper wire.

इसके पूर्व इस कवच को गंगाजल या कच्चे दूध की छींटे मारकर इसे शुद्ध करें।

स्फटिक शिवलिंग; रंगहीन या सफेद खनिज (स्फटिक) से बनाया जाता है।

इसे घर या दफ्तर में बने मंदिर में स्थापित करें।

पारद के कुछ अचूक उपायों का विवरण निम्नलिखित है, जिन्हें आप स्वयं प्रयोग कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति कर सकते हैं: 

इस प्रकार की अधिक जानकारी के लिए इंस्टाएस्ट्रो के साथ जुड़े रहें और हमारे लेख जरूर पढ़ें।

इस शिवलिंग की पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

यदि आप असली पारद शिवलिंग खरीदने के इच्छुक है तो आप हमारी वेबसाइट   से खरीद सकते है।  

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I requested this Shivling for my Son birthday present residing in read more Houston, United states of america. But it is so beautiful and owning so potent aura , that i atonce requested two much more for me and my daughter.

इस शिवलिंग से जीवन में सुख आता है और दुःख धीरे-धीरे समाप्त होता है।

श्रावण महीने में शिव पूजा बहुत ही लाभदायक है। यदि आपको पारद शिवलिंग मिल जाए तो आपके परम सौभाग्य की बात है। श्रावण मास में पारद शिवलिंग लाकर अपने पूजा स्थल पर स्थापित करें। यदि आपके मंदिर में शिव परिवार अथवा पार्वती-शिव की तस्वीर है तो पारद शिवलिंग को उन्हीं के समक्ष स्थापित करें। चांदी, तांबा अथवा पीतल की प्लेट में सफेद वस्त्र बिछाकर उन्हें विराजमान करें। उससे पहले उन्हें गंगाजल से शुद्ध करें। भगवान शिव के मंत्रों से उनका आह्वान करें। ’ओम् नमः शिवाय। ओम् त्रयंबकम् यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्’ आदि मंत्रों से एक अथवा दो माला का जाप करके उन्हें अपने आसन पर विराजमान करें। प्रातः अपनी नियमित पूजा के साथ साथ उन पर गंगाजल, धूप-दीप, पुष्प आदि चढ़ाएं अथवा चंदन का लेप करें एवं प्रार्थना करें।

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